प्रधानमंत्री का नाम लेने से बच रही सपा व बसपा, योगी पर चला रहे तीर
लखनऊ, (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने एक रणनीति अपनाई थी कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना नहीं बनाना है। वे हर सभा में सिर्फ नीतिश कुमार को निशाने पर लेते रहे और उन्हें घेरते रहे। इसका फायदा भी देखने को मिला और सत्ता के नजदीक तक तेजस्वी की पार्टी पहुंच गयी थी। वह तो ओबैसी ने कुछ वोट में सेंधमारी कर दी, जिससे राजद की सरकार बन गयी। आज यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में उसी नीति को विपक्ष अपना रहा है, जबकि भाजपा की कोशिश है कि वह योगी आदित्यनाथ का नाम न लेकर नरेन्द्र मोदी को अपना निशाना बनाये तो बेहतर होगा।
यदि प्रदेश में विश्लेषकों की मानें तो आज भी गरीब व वंचित तबके में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति ही झुकाव ज्यादा देखने को मिल रहा है। यदि विपक्ष उनको निशाने पर लेता है तो बहुत बड़ा तबका विपक्ष से विदक जाएगा। यही कारण है कि रणनीति के तहत कांग्रेस को छोड़कर मुख्य विपक्षी सपा व बसपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेने से कतरा रहे हैं। वे सिर्फ योगी आदित्यनाथ की घेराबंदी करने में जुटे हुए हैं।
अभी प्रधानमंत्री ने मंगलवार को गोरखपुर में भी लाल टोपी का नाम लेकर समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला। इसके बावजूद अखिलेश यादव खुलकर प्रधानमंत्री का नाम नहीं लिए और उन्होंने भी लाल टोपी के सहारे ही प्रधानमंत्री का बिना नाम लिए उसका जवाब दिया लेकिन पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी और जयंत की हुई संयुक्त सभा में दोनों ने जमकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर हमला बोलते रहे।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री का नाम का प्रयोग न कर प्रदेश में अकेले दम पर सत्ता के नजदीक पहुंचने वाले तेजस्वी ने एक रास्ता दिखा दिया है। विपक्ष उसको यूपी में भी आजमाने की कोशिश कर रहा है लेकिन ऐसा बहुत दिनों तक नहीं चल पाएगा। जल्द ही विपक्ष को प्रधानमंत्री के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए भाजपा मजबूर कर देगी। ऐसा होते ही भाजपा ज्यादा सर-प्लस कर जाएगी।