सरोवरों, नदी के तटों और पोखरे के समीप हुए आयोजन
गोंडा। सोमवार को पूर्वांचल का सबसे बड़ा त्योहार डाला छठ का समापन हो गया। व्रती महिलाओं और पुरुषों ने सूर्य नारायण को उगते समय जल अर्पित किया और क्षमा याचना की तथा अगले बरस के लिए पूरी निष्ठा से व्रत धारण करने की कामना की।
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बीते 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हुआ। 29 को खरना के बाद लोगों ने शाम खीर का सेवन करने के बाद निर्जला व्रत धारण किया।
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36 घंटे के इस उपवास में नियम, धर्म, निष्ठा और आस्था का पालन करते हुए रविवार की शाम को अस्ताचल गामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया।
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इसके बाद पूरी छठ मैया के गीत गाते हुए रात बिताई। और सोमवार की बेला में उसी स्थान पर पुनः पहुंच कर उदीयमान सूर्य को जल अर्पित किया।
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इसके बाद अपने-अपने घर पहुंच कर आस पडोस में प्रसाद का वितरण किया और स्वयं प्रसाद ग्रहण कर पारण किया।
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जिले में टेढ़ी नदी, कुआनो नदी, करनैलगंज स्थित सरयू नदी, स्वामी नारायण छपिया मंदिर सरोवर, खैरा भवानी सरोवर तथा
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अन्य तालाब और पोखरों के किनारे पूजन का कार्यक्रम समाप्त हुआ।