प्रमोशन न होने से परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापक के 1900 से अधिक पद खाली

सीएम का निर्देश भी बेअसर, पदोन्नति का इंतजार कर रहे शिक्षक मायूस

सहायक अध्यापक को प्रभारी बनाकर विभाग चला रहा काम

गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की मनमानी जिले के 7966 शिक्षकों पर भारी पड़ रही है। प्रमोशन को लेकर दिया गया सीएम का निर्देश भी इन अफसरों पर बेअसर है। इस लापरवाही के कारण जिले के परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापक के 1900 से अधिक पद खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने के लिए प्रमोशन प्रक्रिया को अमल में लाने के बजाय अधिकारी सहायक शिक्षकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाकर काम चला रहे हैं। सरकार की नजर में अपनी नंबर बढ़ाने के चक्कर में अधिकारी प्रमोशन प्रक्रिया पर कुंडली मारे बैठे हैं। सीएम के निर्देशों की अनदेखी से पदोन्नति का इंतजार रहे शिक्षकों में मायूसी है।

जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के 11447 पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष कुल 7966 शिक्षकों की ही तैनाती है। पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद सहायक अध्यापकों को पदोन्नति देकर प्रधानाध्यापक बनाए जाने का शासनादेश है। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले 6 साल से पदोन्नति प्रक्रिया ठप पड़ी है। विभागीय अफसर जानबूझ कर पदोन्नति प्रक्रिया पर कुंडली मारे बैठे हैं। इस स्थिति को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने बीते सितंबर में में पदोन्नति प्रकिया को पूरा किए जाने की निर्देोल दिया था। सीएम ने 30 सितंबर तक इसे पूरा करने का फरमान जारी किया था। इसको लेकर उन्होंने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट भी किया था लेकिन अफसरों की मनमानी के सामने सीएम के निर्देश भी बेअसर हो गया। अक्टूबर महीने में भी 16 दिन बीत चुके हैं लेकिन सीएम का निर्देश को पूरा करना तो दूर अफसर अब तक इस पर अमल की शुरूआत भी नहीं कर सके हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के परिषदीय स्कूलों के पदोन्नति कोटे में कुल 4745 पद हैं। वर्ष 2016 में हुई पदोन्नति में 2852 पद भरे गए थे। इस पदोन्नति के बाद शैक्षिक वर्ष 202-22 तक परिषदीय 1893 पद खाली रह गए थे। इस वर्ष शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद यह आंकड़ा बढकर 1900 के पार पहुंच गया है। सीएम के निर्देश के बाद शिक्षकों में 6 साल बाद पदोन्नति की उम्मीद जगा थी लेकिन अफसरों की लापरवाही ने इन शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

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जबरन प्रधानाध्यापक का दायित्व मिलने से कुंठित हो रहे शिक्षक

गोंडा। परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापक पद के लिए कम से कम पांच वर्ष की सेवा पूरी करना अनिवार्य है। इस अनुभव के बाद ही सहायक अध्यापक को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत किए जाने की नियम है। लेकिन प्रमोशन न होने से रिक्त पड़े प्रधानाध्यापक के पद का यह दायित्व जबरन सहायक आध्यापकों को सौंपा जा रहा है। नए शिक्षकों में अनुभव न होने से वह इस दायित्व का सम्यक निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। कार्य में लापरवाही पर उन्हें विभाग से फटकार मिल रही है जिससे वह कुंठा का शिकार हो रहे हैं।

फैक्ट फाइल

सृजित पदों की संख्या – 11447
सामान्य भर्ती से भरे पद- 7962
मृतक आश्रित से भरे पद- 04
पदोन्नति कोटे के पदों की संख्या-
4745
पदोन्नति से भरे गए पद-2852
रिक्त पदों की संख्या -1893
शिक्षणेत्तर कर्मियों के कुल पद-08
रिक्त पद-06

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प्रमोशन को लेकर शिक्षक संगठन लामबंद, आंदोलन की चेतावनी

गोंडा। प्रमोशन प्रक्रिया ठप होने से शिक्षकों में निराशा का माहौल है। इसको लेकर शिक्षक संगठन लामबंद होने लगे हैं। निकट भविष्य में यह लामबंदी आंदोलन का रूप ले सकती है। संगठन के प्रतिनिधियों का कहना है कि स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद खाली पड़े हैं लेकिन अफसर जानबूझकर पदोन्नति प्रक्रिया को अटका रहे हैं। अमृत विचार ने इस मुद्दे को लेकर विभिन्न शिक्षक संगठनों से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की।

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जिले के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। जिन पर पदोन्नति ना होने से विद्यालय संचालन प्रभावित हो रहा है। पिछले 7 वर्षों से पदोन्नति ना होने से सहायक अध्यापकों का हक मारा जा रहा है। उनका नुकसान हो रहा है और उन्हें सहायक अध्यापक रहते हुए भी प्रभारी के रूप में प्रधानाध्यापक पद का कार्य करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में तत्काल पदोन्नति कराई जाए। अगर पदोन्नति नहीं हुई तो संगठन को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

विनय तिवारी, जिलाध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ

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पदोन्नति प्रक्रिया को रोककर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी प्रमोशन प्रक्रिया को रोके रहना अफसरों की मनमानी को दर्शाता है। इस तरह के लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और प्रमोशन की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ की जाए।

अनूप कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष, विबीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन

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हजारों स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं है। कई दर्जन जूनियर स्कूल अध्यापक विहीन है। लेकिन अधिकारी पदोन्नति प्रक्रिया को रोके हुए हैं। पदोन्नति प्रक्रिया तत्काल शुरू होनी चाहिए।

वीरेंद्र मिश्रा,जिलाध्यक्ष,राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

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संघ द्वारा पदोन्नति के मुद्दे को लगातार सक्षम पटल पर रखा जाता रहा है। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ शासन द्वारा तत्काल पदोन्नति किए जाने की मांग करता है।

किरन सिंह, जिलाध्यक्ष उप्र जनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ

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प्रमोशन सहित अन्य मांगो का मांगपत्र दिया गया है लेकिन विभाग की तरफ से कोई सकारात्मक कार्यवाई नहीं की जा रही है। शीघ्र चरणबद्ध आन्दोलन का कार्यक्रम निर्धारित किया जायेगा।

आनंद त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष – उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

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पांच वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर पदोन्नति हर सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। समय पर पदोन्नति नहीं होने से उसका सामाजिक और आर्थिक नुकसान भी होता है। माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद भी बेसिक शिक्षा में 7 वर्षों से पदोन्नति नहीं होना बहुत ही दुखद है। इससे छात्रों और शिक्षकों दोनो का नुकसान हो रहा है।

कृष्ण गोपाल दूरबार, जिला महामंत्री अटेवा

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प्रमोशन को लेकर कई बार विभागीय अफसरों को संगठन के माध्यम से पत्र भेजा जा चुका है लेकिन अफसर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। बिना प्रमोशन सहायक अध्यापकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाकर काम लिया जा रहा है। इसका कोई अतिरिक्त भुगतान भी नहीं मिल रहा है। इससे शिक्षकों को आर्थिक व मानसिक रूप से नुकसान हो रहा है।

रवि प्रकाश सिंह, जिलाध्यक्ष, यूटा
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निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल करने से पहले शिक्षकों के प्रमोशन की आवश्यकता है। 19 पैरामीटर को पूरा करने के लिए भी प्रधानाध्यापक एवं जूनियर में विषय अध्यापक होना नितांत आवश्यक है। प्रमोशन की प्रक्रिया को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।

अशोक कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष- पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ

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