नगरपालिका व भूमाफियाओं के गठजोड़ ने खड़ा किया जलनिकासी का संकट
शहरी नालों पर कब्जा कर बना लिए दुकान व मैरेज लॉन
गोंडा। बरसात का पानी घरों में घुसने के बाद भले ही लोग जलनिकासी को लेकर लोग हल्ला मचा रहे हों लेकिन यह समस्या महज एक दिन में नहीं खड़ी हुई है। जलनिकासी की यह समस्या वर्षों से चल रहे नगर पालिका प्रशासन व भू माफियाओं के गठजोड़ का नतीजा है जो अब सुरसा की तरह मुंह बाए लोगों को निगलने के लिए तैयार है। प्रशासन की मौन स्वीकृति से इन भू माफियाओं का हौसला बढ़ा तो इन माफियाओं ने शहर के अधिकांश नालों पर कब्जा कर दुकान व मैरेज लॉन का निर्माण करा लिया। अब यही कब्जा व अवैध निर्माण शहर के लोगों के लिए मुसीबत बना है। इस अवैध निर्माण से शहर के नाले पट गए हैं और छोटी छोटी नालियां उफान पर हैं जो अब जलनिकासी का संकट लेकर लोगों के घरों में घुस रही हैं।
करीब दो दशक पहले शहर के जलनिकासी के लिए कई बड़े नाले व नालियां थी जिनसे बरसात का पानी शहर के बाहर पहुंच जाता था। जानकीनगर मोहल्ले का आधा पानी रानीपुरवा होते हुए मंडेनाला तक जाता था। वहीं आधे जानकीनगर का पानी कुंवर सिनेमा की तरफ से होकर राजकीय इंटर कालेज के पीछे स्थित मवैया तालाब में जाकर गिरता था। लेकिन मंडेनाला व मवैया तालाब पर भू माफियाओं ने कब्जा कर उसकी प्लाटिंग की और ऊंचे दामों पर बेंच दिया। अब इन स्थानों पर ऊंचे ऊंचे मकान बने हैं। इसी तरह रोडवेज़ इलाके का पानी सरदार पेट्रोल पंप होते हुए मालवीय नगर से सागर तालाब में पहुंचता था। मेवातियान मोहल्ले का पानी भी सादर तालाब में गिरता था और फिर राजा मैरिज हाल से होते हुए टेढी नदी में गिरता था। लेकिन सरदार पेट्रोल पंप के सामने नाले पर कब्जा कर दुकान का निर्माण कर लिया गया और राजा मैरेज लॉन के सामने स्थित एक पुलिया पर कब्जा कर मैसेज हाल की बिल्डिंग खड़ी कर ली गई। इसी तरह राजा मोहल्ला, महराजगंज, पटेल नगर, घोसियाना व मनकापुर बाइपास स्थित बरसाती तालाब पर भू माफियाओं ने कब्जा कर इमारत खड़ी कर ली। आवास विकास कालोनी में तो एक स्कूल तालाब की जमीन पर ही खड़ा है। यह सारा खेल नगर पालिका प्रशासन व भूमाफियाओं के गठजोड़ का नतीजा है। जिला प्रशासन भी कार्रवाई करने के बजाय इन माफियाओं को मौन स्वीकृति देता रहा जिससे इन माफियाओं के हौसले बढ़ते गए और नालों व तालाबों पर कब्जा होता गया। अब इस कब्जे ने शहरवासियों के सामने जलनिकासी का संकट खड़ा कर दिया है और यह संकट सुरसा की तरह मुंह बाए सबकुछ निगलने को तैयार है।
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तत्कालीन डीएम डा रोशन जैकब ने तैयार किया था सीवर लाइन का प्लान
गोंडा। जिले में जलनिकासी की यह समस्या नई नहीं है। एक दशक पहले भी इसी तरह के हालात को देखकर जिले की तत्कालीन जिलाधिकारी रहीं डा रोशन जैकब ने वर्ष 2012 में शहर के जलनिकासी के लिए सीवर लाइन का प्लान तैयार किया था। इस प्रस्ताव के तहत गरीबीपुरवा से लेकर बालपुर पुल तक सीवर लाइन का निर्माण कर शहर के पानी को टेढ़ी नदी में ले जाकर गिराना था। इसी तरह जानकीनगर, रोडवेज़ इलाका का पानी सरदार पेट्रोल पंप से होकर सागर तालाब व मेवातियान का पानी सागर तालाब होते हुए कटहा घाट तक ले जाना था। कचेहरी स्टेशन के तरफ का पानी सर्किट हाउस के पीछे स्थित तालाब तक ले जाने की योजना थी। डीएम ने इस काम के लिए नालों की साफ सफाई का सरयू ड्रेनेज खंड को सौंपा था लेकिन उनके तबादले के बाद यह प्रस्ताव ठंढ़े बस्ता में चला गया।
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मछली पालन के ठेके ने बढ़ाई जलनिकासी की समस्या
गोंडा। शहर के जिन तालाबों से होकर नालियों का पानी शहर के बाहर तक पहुंचता था उन तालाबों को प्रशासन ने मछली पालन के लिए पट्टे पर देकर इस समस्या को और भी विकराल बना दिया है। मछली पालन का पट्टा पाने वाले लोग बरसात होते ही इन तालाबों पर बांध बनाकर पानी का बहाव रोक देते हैं। जब तालाब का पानी बाहर निकलना बंद होता है तो शहर के नाले नालियां जाम हो जाते हैं और उनका पानी उफनाकर बाहर खुली सड़क पर पहुंच जाता है। वर्तमान में शहर के जितने तालाब हैं उन सभी को मछली पालन के लिए पट्टे पर दिया जा चुका है। इससे जलनिकासी की समस्या और बढ़ गयी है।
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डीएम ने किया जलभराव वाले इलाकों का निरीक्षण
गोंडा। भारी बारिश के चलते शहर में हुए जलभराव की स्थिति को देखने के लिए जिलाधिकारी डा उज्जवल कुमार गुरुवार को खुद बाहर निकले। उन्होने आवास विकास कालोनी, गा़यत्रीपुरम, सिविल लाइन रोडवेज़ समेत कई इलाकों का निरीक्षण किया और हालात का जायजा लिया। स्थानीय लोगों ने डीएम को समस्या से अवगत कराया और नगर पालिका प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। डीएम ने नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी को जलनिकासी की व्यवस्था को दुरुस्त कराने का निर्देश दिया है।