रांची, (हि.स.)। झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सोमवार को राजमहल से भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कार्यस्थगन के माध्यम से मौजूदा सरकार की नियोजन नीति, युवाओं को रोजगार और अनुबंधकर्मियों का मामला उठाया। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कार्यस्थगन प्रस्ताव को सदन में पढ़कर सुनाया। जेपीएससी के मसले पर सदन हंगामेदार रहा।
ओझा ने कहा कि मौजूदा सरकार नियोजन नीति के साथ खिलवाड़ कर रही है। यूपीए गठबंधन ने अपने घोषणा पत्र में राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को राज्य में नौकरी देने की बात की थी लेकिन इसके ठीक विपरित हाल ही में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की नियुक्ति नियमावली में किए गये संशोधन के तहत मगही, भोजपुरी, अंगिका तथा मैथेली जैसी बहुसंख्यक आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा को हटा दिया गया। उपरोक्त भाषा को बोलने वाले अभ्यर्थियों को राज्य के विकास की मुख्य धारा से अलग-अलग करने का प्रयास मौजूदा सरकार द्वारा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रणाली में पेपर-2 के अंतर्गत हिंदी और अंग्रेजी भाषा को हटाकर सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के तहत उर्दू भाषा को शामिल किया है। ये फैसला संविधान के अनुच्छेद-14 और 16 के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जिन भाषाओं को नियोजन नियुक्ति प्रणाली से हटाने का कुत्सित प्रयास मौजूदा सरकार द्वारा किया जा रहा है, वो भाषायें ही बहुसंख्यक आबादी द्वारा जिला एवं कस्बों में बोली जाती हैं। उन्होंने कहा कि क्या रकरा नियोजन नियुक्ति में शत-प्रतिशत आरक्षण देने का असंवैधानिक प्रयास कर हरही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं को पांच लाख नौकरी का वादा किया था।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में प्रतिवर्ष पांच लाख युवाओं को नौकरी देने की बात कही थी। घोषणा पत्र के अनुरूप काम नहीं हुआ। अनुंबधकर्मियों की छंटनी का काम बैक-डोर से जारी है। गत विधानसभा सत्र में विभागीय मंत्री ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अनुबंधकर्मियों को नहीं हटाने की बात की थी।