सरकार को सरकारी तंत्र लगा रहे चूना, नगर पालिका का सरकारी विभागों पर बकाया है 28 करोड़ सर्विस टैक्स

नगर पालिका की लापरवाही के चलते इतना बकाया सर्विस टैक्स

रोहित तिवारी
गोण्डा। गोण्डा नगर पालिका परिषद का 28 करोड़ 67 लाख रुपए सर्विस टैक्स सरकार के सरकारी तंत्र का बकाया है। सबसे ज्यादा रेलवे विभाग दबाए बैठा है। जिसमें 26 करोड़ 40 लाख एकमुश्त रेलवे का बकाया है सर्विस टैक्स । 10 वर्ष बाद जागे नगर पालिका प्रशासन ने नोटिस भेजकर रकम वसूली किए जाने की कार्यवाही शुरू कर दी है।

नगर पालिका परिषद गोंडा का सरकारी विभागों पर बकाया की वसूली हो जाने के बाद विकास की गंगा नगर पालिका क्षेत्र में प्रवाहित हो सकती है। सरकार के अंग कहे जाने वाले सरकारी विभागों का बकाया सर्विस टैक्स 28 करोड़ 67 लाख है। जिसमें अभी तक सिंचाई विभाग, पुलिस विभाग का पूरा ब्यौर नहीं मिल पाया है। आपको बता दें कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अकेले रेल विभाग 26 करोड़ 40 लाख रुपये सर्विस टैक्स बकाया है। दिलचस्प बात यह है कि नगर पालिका को 10 साल बाद अपना सर्विस टैक्स याद आ गया है। ऐसे में रेलवे विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस भेजकर वसूली की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। इस बात को खुद विभाग के अधिकारी स्वीकार करते हैं। रेलवे पर भारी मात्रा में सर्विस टैक्स बकाया है। इससे नगर पालिका क्षेत्र में विकास की गंगा बह सकती है। इतनी बड़ी राशि बकाया होने के बाद भी नगर पालिका ने रेल विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, यह एक प्रासंगिक प्रश्न है। जिससे नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। नगर पालिका के कर निर्धारण अधिकारी अशोक कुमार ने इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार की संपत्ति से हाउस टैक्स या संपत्ति कर की वसूली नहीं होती है, लेकिन भारत सरकार की व्यवस्था के अनुसार जो भी केंद्रीय संपत्तियां हैं। उनसे सर्विस टैक्स वसूलने के नियम हैं। सेवा शुल्क की तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। जहां हमारी न्यूनतम सेवा या हम सेवा प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। वहां सर्विस टैक्स साढ़े 33 फीसदी है। जहां हमारी सेवाएं 50 प्रतिशत हैं। 50 प्रतिशत सर्विस टैक्स वसूलने के नियम हैं। जिन क्षेत्रों में हमारी सेवाएं 100% हैं। वहां 75 फीसदी सर्विस टैक्स लगता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 से 20-21 तक रेलवे के जीएम और डीआरएम को 26 करोड़ 40 लाख रुपये के नोटिस भेजे जा चुके हैं। इससे पहले हमने व्यक्तिगत रूप से डीआरएम कार्यालय से संपर्क किया था। लेकिन सहयोग नहीं मिला। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में काम कर रहे हैं। भुगतान नहीं होने पर विभाग को कोर्ट जाने को मजबूर होना पड़ेगा। पैसा कहां से या मिलता है तो नगर पालिका की सारी देनदारियां हैं। इसके साथ ही हम नागरिक सुविधाओं को भी बढ़ा सकते हैं।

इन विभागों पर है कितना- कितना

रेलवे – 26 करोड़ 40 लाख, गन्ना समिति – 42 लाख, खाद्य विपणन – 21 लाख 95 हजार, संभागीय वन अधिकारी – 42 लाख, अधीक्षक डाकघर – 28 लाख, जिला अस्पताल – 62 लाख, पशु विभाग – 17 लाख, बीएसएनएल – 19 लाख, चुनाव – 11 लाख रुपए का सर्विस टैक्स बकाया है।
नगर पालिका के कर निर्धारण विभाग के अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि कुछ बड़े विभागों का ब्योरा अभी पूरा नहीं हुआ है. इसके पूरा होते ही सभी को नोटिस भेज दिया जाएगा। आखिर इतना बकाया रहने की वजह क्या है? सवाल उठ रहा था कि अब तक नगर पालिका कहां थी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No more posts to show