जल जीवन मिशन अभियान के तहत मुजेहना में शुरू हुआ दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
गोंडा। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को पीने के लिए मिलने वाला पानी कितना शुद्ध है इसकी जांच अब गांव में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी। महिलाएं घर घर जाकर पानी की गुणवत्ता जांचेंगी और उसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। जल जीवन मिशन अभियान के तहत बुधवार को इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और चयनित महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया।
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खंड विकास अधिकारी विकास मिश्रा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा की वर्तमान समय में प्रदूषित जल ही सारे बीमारियों की जड़ है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि सभी को पीने के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा सके। इसके लिए गांव में पानी की टंकियों का निर्माण किया जा रहा है। जहां टंकी बन चुकी है वहां के लोगों को शुद्ध पानी मिल रहा है। लेकिन अभी तमाम गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को नल का प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है। बीडियो ने कहा कि 200 फीट तक की बोरिंग के नल ही अब शुद्ध पानी दे रहे हैं। बाकी के सभी नल प्रदूषित पानी दे रहे हैं। ऐसे में सरकार जल जीवन मिशन अभियान के तहत सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है इसी के तहत गांव में पानी की गुणवत्ता की जांच कराने का फैसला किया गया है और इसकी जिम्मेदारी ग्रामीण इलाकों में कार्यरत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया है।
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गुणवत्ता की जांच के पहले इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी एक स्वयंसेवी संस्था को दी गई है। संस्था के जिला समन्वयक अरुण मिश्रा ने बताया कि मुजेहना में 450 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाना है। जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता वह आशा कार्यकर्ता भी शामिल हैं। प्रत्येक स्वयं सहायता समूह से 5 महिलाओं का चयन किया गया है। चयनित महिलाओं को दो दिवसीय प्रशिक्षण देने के बाद जांच किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसके माध्यम से वह घर घर जाकर पानी की गुणवत्ता की जांच करेंगी। पानी में क्लोराइड, क्लोराइड व आर्सेनिक की कितनी मात्रा है इसकी रिपोर्ट जल जीवन मिशन की विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन सबमिट करेंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार आगे की कार्रवाई करेगी।