उत्तर प्रदेश में लायन सफारी बन सकती है तो काऊ सफारी क्यों नहीं : उमेश पोरवाल

असम में रसायनमुक्त कृषि कर रहे किसान

लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में लायन सफारी बन सकती है तो काऊ सफारी क्यों नहीं बन सकती। उत्तर प्रदेश में गौशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है। गौशालाएं सरकारी नियंत्रण से मुक्त होनी चाहिए और स्थानीय नागरिकों के संरक्षण में चलनी चाहिए। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद (गोरक्षा विभाग) के केन्द्रीय मंत्री उमेश चन्द्र पोरवाल ने कही।

उमेश पोरवाल ने कहा कि प्रत्येक ग्राम सभा में गौशाला खोलने की जरूरत नहीं है। चार—पांच जिलों के बीच में कोई बड़ा वन क्षेत्र चुनकर वहां पर बैरिकेडिंग कर गौवंश को खुल्ला छोड़ना चाहिए। इससे जहां सरकार का पैसा बचेगा वहीं पर गौवंश की सुरक्षा व समृद्धि भी होगी।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रान्त इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। गौरक्षण व संवर्धन के मामले में देशभर में सबसे अच्छी स्थिति छत्तीसगढ़ की है। वहां पर इसी प्रकार बड़े-बड़े क्षेत्र बनाए गए हैं या फिर गोठान बने हैं जो स्थानीय नागरिकों द्वारा संचालित है। गाय का गोबर खरीदने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है। इससे पशुपालकों की आय में वृद्धि होती है।

विश्व हिन्दू परिषद के गोरक्षा विभाग के केन्द्रीय मंत्री उमेश पोरवाल ने कहा कि देश में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण गौवंश की अनदेखी लम्बे समय से भारत में हो रही है। भारतीय संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गौ माता ही इस धरती और मनुष्य जाति का संरक्षण करने में सक्षम है।

उमेश पोरवाल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि पूर्वोत्तर में गौसंवर्धन तथा गौवंश आधारित कृषि और रसायन मुक्त कृषि पर काम हो रहा है। कर्जमुक्त किसान,रोजगार युक्त नौजवान,स्वस्थ भारत और दुग्ध युक्त भारत और आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी किसान हो, यह आज की आवश्यकता है। यह तभी होगा जब देशी गायों का संरक्षण एवं संवर्धन होगा।

उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। गांव का आधार किसान है। किसान का आधार कृषि है और कृषि का आधार गौवंश है। जिसका संरक्षण संवर्धन करना हमारा दायित्व है।

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