न सुधरे पावर कारपोरेशन के अधिकारी न बिजली

डीएम बिजली सुधार की कर रहे थे बैठक, बिजली हो गई गुल
गोंडा। जिले में बिजली आपूर्ति की स्थिति बहुत ही दयनीय है। 24 घंटे में मुश्किल से 10 घंटे की आपूर्ति हो पाती है। वह भी 40 बार की ट्रिपिंग के बाद। गजब तो उस समय हुआ जब शुक्रवार की शाम पांच बजे डीएम कलेक्ट्रेट सभागार में पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे और सुधार के लिए फटकार लगा रहे थे। इसी दौरान बिजली चली गई। डीएम के कार्यालय में तो जनरेटर लगा है पर आम नागरिकों को भीषण गर्मी में दिन रात गुजारने के लिए विवश होना पड़ता है।
गोंडा में पावर कारपोरेशन के मनमाने रवैये से आम लोगों के अंदर आक्रोश पनप रहा है। मंत्री, अधिकारी आकर चले जाते हैं। आम लोगों से मंत्री व अधिकारी मिलना नहीं चाहते हैं। मिलने पर शिकायतों का पुलिंदा मिलने का डर सता रहा है। ऐसे में आम उपभोक्ता अपनी पीड़ा किससे कहें। जिले के आला अधिकारी पूरे दिन मीटिंग में व्यस्त रहते हैं। पता करने और फोन करने पर केवल एक जवाब मिलता है कि साहब मीटिंग कर रहे हैं। झंझरी के पावर हाउस, सिविल लाइन व आवास विकास के पावर हाउस के सभी फीडर के उपभोक्ताओं को मुश्किल से 10 घंटे बिजली मिल पा रही है। गोंडा नगर पालिका क्षेत्र व आसपास के शहरी इलाके की करीब तीन लाख आबादी बिजली के आवाजाही से हांफ रही है। झंझरी के बड़गांव फीडर की बिजली आठ घंटे तक लगातार काट दी जाती है। आम उपभोक्ता जब शिकायत करने जाता है तो उसे उलटा धमकी दी जाती है कि सरकारी कार्य में हस्तक्षेप करोगे तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। यहां के जनप्रतिनिधियों को आम लोगों की समस्या से कुछ लेना देना नहीं है। जनप्रतिनिधि मिलते नहीं हैं और अधिकारी सुनते नहीं हैं। उपभोक्ता दिलीप सिंह, सुमित अग्रवाल, तेज प्रताप सिंह सहित तमाम उपभोक्ताओं ने लचर व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की। ऐसी स्थिति में में उपभोक्ताओं के दर्द पर मरहम कौन लगाए।

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