उमरी बेगमगंज/नवाबगंज (गोंडा) । घागरा के उग्र तेवर ने 14 गांव के 162 मजरों में रहने वाली करीब 27000 आबादी को बाढ़ की चपेट में ले लिया है । जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुसा हुआ है। सैकड़ों बीघा फसल भी जलमग्न हो गई है। धीरे-धीरे लोग सुरक्षित स्थान की तरफ पलायन कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से आवागमन के लिए 43 नार्वे लगाई गई हैं। पिछले 4 दिनों से ऐली परसोली सहित क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में नेपाल का पानी भीषण तबाही मचा रहा है। एल्गिन ब्रिज पर नदी खतरे के निशान से 78 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। लगातार बढ़ते जलस्तर से माझा वासियों की बेचैनियां बढ़ती जा रही हैं और लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। वहीं नाव ना मिलने से कई लोग पानी में घुस कर आवागमन को मजबूर हैं। ऐली परसोली के 33 मजरे पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। यहां रहने वाले 705 परिवार और लगभग चार हजार की आबादी बाढ़ का दंश झेल रही है। क्षेत्र के गढ़ी, बहादुरपुर, जबरनगर, परासपट्टी मझवार, पट्टी पुरवार के 28 मजरों में रहने वाली करीब 3000 से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में आ चुकी है। फिलहाल बाढ़ का दंश झेल रहे ये परिवार दो वक्त की रोटी और मवेशियों के लिए चारे की जुगत में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ऐली परसोली नई बस्ती के रामकिशुन यादव ने बताया कि घर में पानी घुस जाने से भोजन पकाने की समस्या उत्पन्न हो गई है। मवेशियों के चारे के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। हनुमान यादव ध्रुव राज यादव अछैबर यादव कहते हैं कि पानी घर में घुसने से जिंदगानी मुश्किल में पड़ गई है किसी तरह से गुजर बसर कर रहे हैं।
नवाबगंज क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। संपर्क मार्ग पर आवागमन मुश्किल हो गया है। करीब 100 एकड़ फसलें डूब गयी है। ब्यौदामाझा गांव प्रधान केशवराम ने बताया कि बाढ़ग्रस्त गांव है। एकाएक पानी आने से पूरा गांव का संपर्क मार्ग बदहाल व पानी से भरा है। आवागमन हो रहा मुश्किलl

इन गांवों मे ब्योदामाझा, गोकुला, दत्त नगर साकीपुर, तुलसीपुर माझा, इंदरपुर, सेमरासेखपुर, चौखड़िया, जैतपुर माझा, दुल्लापुर, तुरकौली, महेशपुर, कटराभोगचंद, माझाराठ, दुर्गा गंज, महेशपुर ऐसे गांव है जिनके करीब 100 मजरो में बाढ़ का पानी घुस गया है। फसल डूब गयी है। पालतू पशुओं के लिए हरे चारे व लोगों को रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कशमश शुरु कर दिया है। इस बाढ़ से कम प्रभावित गांव जफरापुर, लोलपुर, इस्माइलपुर, बालपुर, महंगूपुर, विश्वनोहरपुर, रघुनाथपुर के लोगों ने बाढ़ की आमद को महसूस कर रहे हैं। अपने आवागमन तथा रोजमर्रा की जरुरतों को लेकर सजग दिख रहे हैं। ब्यौदामाझा गांव के प्रधान केशवराम यादव ने बताया कि उनका गांव तरबगंज व नवाबगंज क्षेत्र की सीमा पर बसा है। उनके बगल के गांव बहादुरा, ब्यौदा उपरहर सहित अन्य गांवों की तरफ बाढ़ के पानी ने घेर लिया है। आवागमन के लिए लोग सतर्क हो रहे हैं। संपर्क मार्ग पर घुटने तक पानी आ चुका है। इस बार बाढ के आने जाने से पहले ही काफी फसल डूब व खेत कटान मे जा चुके है। इस बार बाढ़ से नुकसान कम हो, सब प्रयास लगातार करने मे लगे हैं। ब्यौदामाझा गांव के मुन्ना यादव ने बताया कि रोजमर्रा जरुरतों के लिए खुद की नाव से आना जाना हो रहा है। अभी कोई सहायता नही मिल रही है। प्रधान व उनके लोग कुछ आवश्यकता पूरी करते दिख रहै हैं। गांव के ही बब्बन यादव ने बताया कि अचानक बाढ़ पानी आने से पालतू जानवरों के चारे की समस्या उत्पन्न हो गया है, इस गांव के लोग अपनी जरुरतों के लिए नावो से आवागमन कर अपनी जिविकोपार्जन में लगे हैं l गांव के जूनियर व प्राथमिक विद्यालय के आसपास पानी भरे होने के चलते बच्चों के पठन पाठन व बिजली की समस्या भी हो रही है जिससे पढ़ाई व लोगों की रोजमर्रा कई जरुरतों की भी समस्या बढ़ती जा रही है।
इनसेट
बाढ़ से प्रभावित ग्रामीणों को वितरित किया गया खाद्य सामग्री
गोंडा। जिलाधिकारी उज्ज्वल कुमार के निर्देश पर सोमवार को जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव एवं तहसीलदार तरबगंज पुष्कर मिश्रा तथा तहसीलदार करनैलगंज नरसिंह नारायण वर्मा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कुल 19 ग्रामों के 117 मजरे जिसमें तहसील तरबगंज के 18 ग्राम के 112 मजरे व तहसील करनैलगंज के 1 ग्राम के 5 मजरे तथा दोनों तहसीलों के कुल 13993 जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है जिसके लिए प्रशासन द्वारा 106 नावें लगाई गई हैं। 24 मेडिकल टीम लगाई गई है। 811 क्लोरीन टेबलेट व 322 ओआरएस पैकेट एवं 2600 पशुओं का टीकाकरण, 85 तिरपाल वितरण किया गया, तथा खाद्य सामग्री वाटर प्रूफ प्लास्टिक बैग में आटा 10 किलो, चावल 10 किलो, आलू 10 किलो, लैइया 5 किलो, भूना चना 2 किलो, अरहर दाल 2 किलो, नमक आधा किलो, हल्दी 250 ग्राम, धनिया 250 ग्राम, मोमबत्ती एक पैकेट, माचिस एक पैकेट, बिस्कुट 10 पैकेट, रिफाइंड तेल 1 लीटर, नहाने का साबुन 2, गुड़ 1 किलो सहित आदि सामाग्रियों का वितरण किया गया है।

बाढ़ के चलते 11 स्कूलों में लगा ताला
गोंडा। घाघरा की कटान के चलते गांवों में घुसे बाढ़ के पानी ने स्कूलों को भी प्रभावित किया है। बाढ़ का पानी कई परिषदीय स्कूलों में घुस गया है। पानी घुसने से पढ़ाई ठप हो गई है और स्कूलों में ताला लटक गया है। बाढ़ के कारण तरबगंज के चार व नवाबगंज के सात स्कूल प्रभावित हुए हैं। नवाबगंज के खंड शिक्षा अधिकारी चंद्रभूषण पांडेय ने बताया कि दोनों ब्लाकों के 11 स्कूल प्रभावित हैं।

नीचे पानी ऊपर आसमान, बीच में तड़प रहे किसान
खेती गई, घर छूटा, भोजन के पड़ गए लाले
चारे के बिना दूध का धंधा भी हुआ चौपट

भास्कर सिंह
उमरीबेगमगंज (गोंडा)। सरयू ने ऐसा कहर बरपाया कि किसान तड़प उठे। बाढ़ ने हरी भरी खेती निगल ली। गांव घर में पानी भर गया। उसी पानी में अपनी चारपाई डालकर किसान कभी आसमान की तरफ तो कभी अपनी जलमग्न खेती को देखकर अपने भाग्य को कोस रहे हैं।
अभी एक सप्ताह पहले शासन के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने सूख रही फसलों का सर्वे कराया था। सर्वे में तरबगंज तहसील क्षेत्र में 65 प्रतिशत फसलों के सूखने की रिपोर्ट भेजी गई थी। खेतों में बची 35 फीसदी फसल से ही परिवार का गुजर बसर करने के लिए किसान उसे बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे। लेकिन प्रकृति का खेल ही निराला है। मौसम ने करवट लिया और 14 सितंबर से मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। लगातार 17 सितंबर तक बारिश व तेज हवा ने गन्ने की फसल को धराशायी कर दिया। किसान उबरे भी नहीं थे कि 17 सितंबर की रात से ही गोंडा – बाराबंकी की सरहद पर बह रही सरयू (घाघरा) ने तांडव शुरू कर दिया। इस तबाही में तरबगंज तहसील के दो ब्लाक के करीब 100 गांव और हजारों बीघे लगी फसल चपेट में आ गए। फसलें डूब गयीं और गांव घर में पानी बह रहा है। पानी भरने से घर रखा अनाज भी भीग गया। फसल डूबने से पशुओं का निवाला भी खत्म हो गया। माझावासी फसलों व पशुओं के दूध से ही परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

भीषण बाढ़ की विभीषिका में चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है और ऐसे में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। चाहे गरीब हो या फिर अमीर सबको बाढ़ ने एक जैसा बना दिया है। कोई दरवाजे पर भरे बाढ़ के पानी में चारपाई डालकर गुजारा कर रहा है तो कोई अपनी गृहस्थी समेट कर सुरक्षित स्थान की तरफ जाने के लिए नाव का इंतजार करता मिला। लोगों के घरों में घुसा बाढ़ का पानी आमजन को बेघर करने पर तो तुला ही है। भोजन पकाने के साथ ही पेयजल का संकट भी खड़ा हो गया है। केवटाही मजरे की कितना प्यारा ने बताया कि घर में पानी घुस गया है। गैस मिला नहीं लकड़ी भी बाढ़ के पानी में डूब गई। इधर-उधर से जुगाड़ कर लकड़ी का मचान बनाया और उस पर मिट्टी डालकर चूल्हा तैयार किया। किसी तरह से भोजन तैयार होता है। बिहारी पुरवा की जुगरा रूंधे गले से बोलीं घर द्वार नदी में कट गया। कहां जाई का करी चारों तरफ पानी ही पानी है। किसी तरीके से गुजर बसर हो रहा है। बालक राम ने बताया कि घर द्वार नदी में कट गया। दूसरे के दरवाजे पर गुजारा कर रहे थे लेकिन अचानक बाढ़ आ जाने से सारी जुगत फेल हो गई। 65 साल की सूका कहती हैं छोटे बेटे के साथ गुजारा कर रहे थे। घर नदी में कट गया। खेत में छप्पर रख लिया था जिसमें पानी भर गया है। बड़ी मुश्किल से रात गुजरती है। फिलहाल यह नाम तो बानगी भर हैं। जिस तरफ सर उठाएंगे यही नजारा दिखेगा और प्रशासन की तरफ से राहत के नाम पर अभी तक बाढ़ पीड़ितों को फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No more posts to show