छतरपुर: जिन बेटियों को मां ने अकेले पाला, उन्होंने भी नहीं दिया अंतिम क्षणों में साथ

समाजसेवियों ने दिखाई मानवता, किया अंतिम संस्कार

छतरपुर, (हि.स.)। नौगांव की समीपी बिलहरी पंचायत के ग्राम कुम्हार टोली में रहने वाली 50 वर्षीय तीजीया रैकवार लकवा की बीमारी से ग्रसित थी ग्रामीणों के आसरे पन्नी की झोपड़ी में रहकर जिंदगी गुजार रही थी। सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात अचानक उसकी मौत हो गई। मंगलवार सुबह ग्रामीणों ने महिला की मौत की सूचना उसकी पुत्रियों को दी लेकिन जब कोई नहीं आया तो ग्रामीणों ने मानवता दिखाते हुए वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया।

ग्रामीणों ने बताया कि विवाह के बाद तीजिया ने दो पुत्रियों को जन्म दिया जिसके बाद उसकी ससुराल वालों ने उसे भगा दिया। तीजिया तभी से अपनी दोनों बेटियों के साथ कुम्हार टोली में रहने लगी थी। दोनों बेटियों का विवाह उसने कर दिया। कुछ दिनों तक बाद वह लकवा बीमारी से ग्रसित हो गई जिसके बाद उसकी बेटियों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। अब तिजिया गांव में पन्नी की झोपड़ी बनाकर जिंदगी के दिन बिताने लगी। गांव के लोग ही उसे खाने को देते थे। समाजसेवी टिंकू यादव, राधेश्याम, दीना, रिंकू, मत्ती, बैजनाथ, नंदू प्रजापति, तुलसी कुशवाहा, अनवर खान, देवेन्द्र, पप्पू, सरदार अहिरवार, संतु बरार आदि ने उसका अंतिम संस्कार कराया और उसकी तेरहवीं कराने का निर्णय लिया।

किसी भी शासकीय योजना का नहीं मिला लाभ

एक ओर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन गरीबों और बेसहारा लोगों की हितैषी होने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर इस महिला की मौत के साथ ही प्रशासन के दावों की भी पोल खुल गई। ग्रामीणों ने बताया कि बेसहारा महिला को आज तक शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल सका। आसपास के लोगों से जो कुछ मिलता था उसी के सहारे महिला अपना जीवन व्यतीत कर रही थी।

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