कटान को लेकर ग्रमीणों में दहशत, पलायन के लिए सुरक्षित स्थान की ओर
करनैलगंज(गोंडा)। घाघरा नदी का जलस्तर डेढ़ सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटने लगा है। वहीं नदी और बांध के बीच फसल लगी कृषि योग्य भूमि एवं खाली पड़ी भूमि घाघरा की इस कटान व तबाही का मंजर देखकर बांध के आसपास बसे ग्रामीणों का पलायन सुरक्षित स्थानों की ओर शुरू हो गया है। बीते 24 घंटे में घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गया। जो आंकड़ों के मुताबिक डेढ़ सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नदी का जलस्तर घट रहा था। घाघरा नदी एक मान्यता है, जब इसका जलस्तर घटने लगता है तो नदी में उठने वाला मशीना तेजी से जमीन को काटना शुरू कर देता है। एल्गिन-चरसडी बांध के से अब नदी का पानी हिलोरे मार कर सटकर बह रहा है। जिससे भविष्य में खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने के बाद नदी का जलस्तर जब घटेगा तो स्थितियां बेकाबू भी हो सकती है। शनिवार को एल्गिन ब्रिज स्थित केन्द्रीय जल आयोग संस्थान के आंकड़ों के अनुसार शनिवार सुबह आठ बजे नदी का जल स्तर 105.896 दर्ज किया गया था। जो खतरे के निशान से 18 सेंटीमीटर नीचे था। वहीं शाम को जलस्तर घटकर 105.736 पर पहुंच गया जो खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर नीचे था। नदी का जलस्तर घटने के साथ तटवर्ती क्षेत्रों में कटान का खतरा बढ़ गया है। अभी तक बढ़े जलस्तर से खेती वाली जमीनें ही प्रभावित हुई है। उफनाई नदी का पानी मांझारायपुर, नकहरा के मजरों में स्थित नालों, तालाबों में भी जाना शुरू हो गया है। शारदा, गिरजा, सरयू बैराजों से पानी के डिस्चार्ज में भी कमी दर्ज की गयी है। शाम को कुल डिस्चार्ज 1 लाख 89 हजार क्यूसेक दर्ज किया गया। बाढ़ खण्ड के सहायक अभियंता अमरेश सिंह कहते हैं कि बांध पूरी तरह सुरक्षित है। कही भी कोई दिक्कत नही है। लगातार निगरानी टीमें बांध पर नजर रख रही हैं।
घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने की सूचना पर निरिक्षण करने पहुंचे एडीएम
गोंडा। घाघरा नदी का जल स्तर बढ़ने की सूचना पर जिला प्रशासन तटबंधों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क हो गया है। डीएम के निर्देश पर एडीएम सुरेश कुमार सोनी और जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव ने तहसील तरबगंज अन्तर्गत एली परसौली तटबंध का निरीक्षण किया।
एडीएम ने बताया कि घाघरा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी संवेदनशील स्थलों पर निगरानी बढ़ा दी गई है और बाढ निगरानी समितियों को सक्रिय कर दिया गया। संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व विभाग की टीमें निगरानी कार्य में लगाई गई वहीं बाढ़ खण्ड के अधिकारी भी तटंबंधों की सुरक्षा पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि घाघरा नदी खतरे के निशान से नीचे बह रही है, बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं परन्तु एहतियातन सक्रिय कर दिया गया है। बाढ़ से बचाव व राहत के लिए जनपद स्तरीय कन्टोल रूम संचालित कर दिया गया है। इसके साथ राहत शिविर, मवेशियों के लिए भूसा, बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों को पका हुआ भोजन का पैकेट मुहैया कराने के साथ ही कच्चा राशन दिए जाने हेतु टेण्डर का कार्य पूरा करा लिया गया है। पशु पालन विभाग की टीमों द्वारा संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मवेशियों का टीकाकरण किया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं के दृष्टिगत मेडिकल टीम की भी ड्यूटी लगा दी गई है और सभी सीएचसी पर सर्पदंश व एन्टी रैबीज इंजेक्शन के साथ ही अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई है।
उन्होंने बताया है कि बाढ़ चौकियों पर जिम्मेदारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तटबंधों की निगरानी में किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं बरतेंगें और सूचनाओं से जिला प्रशासन को अवगत कराएगें।